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भगवत गीता कृष्ण जन्म उत्सव आदिवासी क्षेत्र श्रद्धालुओं की उमड़ी जनता

भगवत गीता कृष्ण जन्म उत्सव आदिवासी क्षेत्र श्रद्धालुओं की उमड़ी जनता।

दौलतराम पाटीदार नारद न्यूज़ ज़िला प्रमुख रतलाम ।

चिंतन कर चिता और चिंता से दूर आदिवासी बहुल क्षेत्र आंबा पाड़ा गांव द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन के चौथे दिन सुप्रसिद्ध कथावाचक श्री कमल किशोर जी नागर द्वारा भगवान श्री कृष्ण का सजीव चित्रण किया ।
कारागार में देवकी के आठवें पुत्र का जन्म उत्सव कथा प्रांगण आंबापाडा गांव के कथा श्रवण पांडाल मंच पर स्थित नागर जी के साथ पधारे अन्य मौजूद भक्त आदिवासी श्रद्धालुओं के साथ अनेक लोगों उत्सव मनाया ।
कथा के दौरान भजनों पर श्रद्धालु झूमते नजर आए।
पंडित कमल किशोर जी ने कहा कि देस और सनातन धर्म के पतन की ओर देखते हुए हमे अभी अंध विश्वास से बाहर निकल कर सस्ती सुंदर कथा करना है फालतू खर्च नही करते हुए सस्ती सुंदर कथा करना है।किसी से कथा के लिए जबर जस्ती रुपए की मांग कर किसी का दिल मत दूखाना ओर प्रयास करना ।
प्रयास करने के बाद कम पड़े तो भागवत के पास चले आना। ब्यास पीठ से नागर जी कहा जो भी सहयोग और संयोग से मदद बन पाएगी हमारी तरफ़ से कथा आयोजन सफल करने में पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
मालवा मे मालवीय भाषा के साथ उदहारण देते हुए नागर जी ने कहा
भयंकर गर्मी पड़ रही हो तो ,,पंखा गर्मी का काट है ।
वैसे ही जगत मे पाप बड़ रहा है तो इसका काट भजन है। इसमें कोई संदेह है तो मुझे बताओ।
जिंदगी की शुरुवात ओर अंत रोने से होती हैं
रोने की आवाज मासूम बच्चे की आती हैं तो जीवन की शुरुवात हैं, और पड़ोसी के घर से बड़े लोगों के रोने की आवाज़ आती हैं तो जीवन का अंत है।
रोड़ के सीमा पर लगा बोर्ड बताता है सीमा समाप्त ,, दूसरी ओर उसी बोर्ड पर लिखा जाता है की सीमा प्रारंभ ,,
जीवन मरण का चक्र ऐसे ही चलता है।
जब किसी अच्छे काम की शुरवात करते हैं तो पाठ पूजन और हवन प्रारंभ कर करते हैं अतः तो पाप का अंत होता है।
हजारों की संख्या में पधारे लोगों की उपस्थिति मे आड़े हाथों लेते हुए नागर जी ने कहा और बताया की आज के समय में ये कैसी प्रथा चल रही हैं शादी विवाह मे तो दारू की बोटल हाथ मे लिए डी जे के अश्लील गाने के साथ नशे मे नाचते झूमते हो बड़े शर्म की बात है।
दो स्त्री पुरुष की सुगम जिंदगी का सफ़र की शुरुआत करते हैं तो दारू से ,, ये कहां की परम्परा है।
जहां शर्म हे वहां धर्म निश्चित रूप से आज भी विद्यमान हैं।
एक जमाने में घर और खेत की मेड पर बेशर्मी के झाड़ हुवा करते थे लेकिन आज वह देखने को नहीं मिलते हैं।
किसी महा पुरुष ने अपने तपोबल से वह झाड़ दिख गया तो पूछा अब तुम गायप ओर लुप्त क्यों हो गए हो,,
जीस पर उस झाड़ ने महापुरुष को बताया की अब मेरी आवश्यकता नहीं है,, लोग मेरी भूमिका बहुत खूब ही अनेक स्थानों पर लोग निभा ही रहे हैं ।
भगवत गीता कथा के माध्यम से भक्त को अनेक कल्याण कारी आत्म शांति की सीख प्रदान की गई। राम भजों राम भजों राम मिलेगा सुबह नही तो शाम मिलेगा।

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